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1. बोली कु लोप होन्दà
Posted by: "Mukund Dhoundiyal" mldhoundiyal@grouply.com mldhoundiyal
Date: Wed Sep 17, 2008 10:12 pm ((PDT))
*म्यारा पर्वतीय नौनिहालों** *
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*ये भूलौ. रे*
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*अपना आपस माँ जब भी वार्तालाप करदां ता अप्नि भाषा कु प्रयोग कारा रे...*
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*हमारी बोली कु लोप होन्दा जाणु च रे*
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* ये नौनो ... *
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*क्वी भी "जाती" अपनी बोली का भरोसा ही जिन्दा रै सकदी .... *
*बिना बोली का मनिख्यों की पछ्याण नि च और अप्नि पछ्याण का वास्ता "बोली" कु
जिंदु रेणु ज़रूरी च *
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बोली थैं जिंदु रख्णु पोढ़दू.. ....
जै की बोली भाषा माँ जतना भी मिठास ह्वेइली ...वीं बोली का लोगु की उतना
ही इज्ज़त हवेली *
*दिन भर हमारू यु प्रयास रेणु चैयंदु की हम वार्तालाप अपनी सीधी सरल बोली
माँ करां..*
*गद्वोली आदिम गद्वोली माँ बोलीं ......और कुमाओं आदिम कुमाओं बोली माँ
बोल्यां.. *
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*गड्वाली अर्र कुमैयाँ बोली लोगो की समझ माँ आसानी से एई जांदी *
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*यु द्वि बोली उत्तराँचल की ही ता छीन और यु माँ फर्क मामूली च..*
*शुरू शुर माँ थोड़ा सी दिक्कत महसूस जरूर होली लेकिन एक द्वि वार्तालाप कारन
से वू भी हल्कू महसूस होलू जरूर .....*
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*यु मेरु विश्वास च.. *
*ता भूलों और नौनियालो आज और अभी बीटी यु भलु काम शुरू कैरी दीयो
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*और हाँ एक बात और विशेष च की हमारी भाषा माँ जख एक मिठास च ताखी वेई माँ
अपना विचार की सरलता भी च और सोम्य भी साथ ही साथ गोपनीयता भी ...*
*जरा एक दों.. अपनी बोली बोला ता सही...फ़िर देखो कतना मिठास महसूस
होंदी और कत्गा अछू लगदु और कत्गा आनंद औंदु
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