-बाजगी की कला को नहीं मिल पाया सम्मान व प्रोत्साहन
-नई पीढ़ी पारंपरिक वाद्य यंत्र वादन से मोड़ने लगी मुंह
-बाजगी परंपरा छोड़कर अपनाने लगे अन्य पेशे
-संदेशों के आदान-प्रदान की कला ढोल सागर विलुप्ति के कगार पर
वीरेंद्र... View full post on Yahoo! Jagran News Local:Uttranchal
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